लोचन प्रसाद पाण्डेय जी का जन्म मध्यप्रदेश राज्य के बिलासपुर जिले में 4 जनवरी 1887 ई0 में हुआ था। ये हिन्दी के प्रमुख साहित्यकार थे। पाण्डेय जी का हिन्दी और उड़िया दोनों भाषाओं पर सामान अधिकार था, वे भाषा के मर्मज्ञ थे। सन् 1905 से इनकी कविताएँ महावीर प्रसाद द्विवेदी जी के सरस्वती पत्रिका में निकलने लगी। ये भारतेन्दु साहित्य समिति के सर्वोच्च सदस्य भी थे। मध्यप्रदेश के साहित्यकरों में इनकी विशेष प्रतिष्ठा थी। आज भी इनका नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। लोचन प्रसाद पाण्डेय जी के पिता का नाम चिंतामणि पाण्डेय था और उन्होंने अपने गांव के बालकों के शिक्षा के लिए एक पाठशाला खुलवाई थी ।
शिक्षा:- लोचन प्रसाद पाण्डेय जी की प्रारंभिक शिक्षा बालपुर के निजी पाठशाला में हुई। सन् 1902 में संबलपुर से मिडिल की परीक्षा उत्तीर्ण की और सन् 1905 में कलकत्ता से इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की एवं पाण्डेय जी ने अपने जीवन काल में अनेक जगहों का भम्रण किया वे साहित्य गोष्ठियां ,सम्मेलनों, कांग्रेस अधिवेशन, इतिहास, पुरातत्व खोजी अभियान में तत्पर रहे उनके खोज के कारण अनेक गढ़, शिलालेख, ताम्रपत्र, गुफा प्रकाश में आऐ।
स्वभावः- लोचन प्रसाद पाण्डेय स्वभाव से सरल एवं निश्छल थे। इनका व्यवहार आत्मीय पूर्ण हुआ करता था। उन्होनें अपनी रचना के माध्यम से पाठकों को उनके चरित्रोत्थान की प्रेरणा दी।
एक उपदेशक की तरह पाठकांे के मध्य उनमें संयम एवं रूचि जागृत करने में वे अग्रणी रहें। मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में इनका नाम आज भी बड़े आदर , सम्मान व प्रतिष्ठा के साथ लिया जाता है।
कृतियां - (1) दो मित्र - यह काव्य रचना उद्देश्य प्रधान, सामाजिक उपन्यास, समाज सुधार, स्त्री चरित्र से प्रेरित एवं पाश्चात्य सभ्यता की प्रतिक्रिया पर लिखित लोचन प्रसाद पाण्डेय की 1906 में प्रकाशित प्रथमकृति है।
अन्य प्रमुख साहित्यिक रचनाएँ - (1) कलिकाल (छत्तीसगढ़ 1905 )
(2) प्रवासी (काव्य संग्रह मध्यप्रदेश) 1906 (3) नीति कविता 1909
(4) कविता कुसुममाला 1909 (5) शोको मंजरी 1910 (6) रघुवंश सार 1911 (7) माधव मंजरी 1914 (8) पद्य पुष्पांजली 1915 (9) जीवन ज्योति 1920 (10) प्रशस्ति रत्नमाला 1956
लोचन प्रसाद पाण्डेय जी हिन्दी के प्रमुख साहित्यकार, उपन्यासकार , कहानीकार है। सन् 1923 में इन्होंने छत्तीसगढ़ गौरव प्रचारक मंडली की स्थापना की थी जोकि बाद में महाकौशल इतिहास परिषद कहलाया।
छत्तीसगढ़ में वनांचल के किसी ग्रामीण कवि को साहित्य का सर्वोच्च सम्मान ‘‘साहित्य वाचस्पति’’ दिया जाये तो उसकी ख्याति का सहज अनुमान लगाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ के इस भूमि को गौरवान्वित करने वाले महापुरूष बालपुर के प्रतिष्ठित पाण्डेय कुल के जगमगाते नक्षत्र पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय थे। वे इस सम्मान से विभूषित होने वाले छत्तीसगढ़ के प्रथम व्यक्ति थे।
सम्मान:- पाण्डेय जी को हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा सन् 1948 में ‘‘साहित्य वाचस्पति’’ सम्मान व काव्य विनोद साहित्य से सम्मानित किया गया था। पाण्डेय जी हिन्दी के बड़े साहित्यकार थे, वे हिन्दी जगत में सदैव अविस्मरणीय रहेंगे।
निर्वाण तिथि - 8 नवम्बर 1959