महाविद्यालयमें स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर हिन्दी भाषा एवं साहित्य काअध्ययन अध्यापनकिया जाता है। हिन्दी भाषा न केवल राष्ट्रभाषा है बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता एवं पहचान से भी जुड़ा हुआ है। सांस्कृतिक बोध के स्तर परभी इसके महत्व कोरेखांकित किया जाता है। जनपदीय भाषा के रूप में समाहित छत्तीसगढ़ी भाषा एवं साहित्यको अंचल विषेष के महत्व को समझनेकी दृष्टि से महत्वपूर्ण रूप से समाहित किया गया है। हिन्दी भाषा के प्रयोजनमूलक स्वरूप से परिचित होने के लिए स्नातक स्तरीय सभी पाठ्यक्रमों में हिंदीभाषा को अनिवार्य रूप से सम्मिलित किया गया है, जिससे कि दैनांदिनीकेकार्यों में भाषागत समस्या न हो एवं विद्यार्थिगण इससे जागस्क एवं गौरवान्वितमहसूस कर सकें। सांस्कृतिक अवदान के रूप में काव्य, नाटक, कहानी एवं उपन्यासविधाओंके महत्वपूर्ण योगदान को जगह दी गयी है, जिससे कि विद्यार्थीगण संवेनदषीलता के साथ-साथ नैतिक विवेक को भी पहचान सकें।
शोधकेन्द्र केरूप में भी हिन्दी भाषा एवं साहित्य को महाविद्यालय में संचालित किया जाता है, जिससे कि विद्यार्थीयों को शोध कार्य के लिएप्रवृत किया जा सके।हिन्दी भाषा एवं साहित्य में शोध कार्य से विषयगत नयी दृष्टि एवं चेतना के विकास के लिए इसे महत्वपूर्ण समझा जाना चाहिए।